रोक लिया मैंने बारिश को अपनी ही आँखों में,
और दूर खडी मैं अपने दिल के जलने का तमाशा देखती रही,
कुछ कहे बिना वोह चला गया मुझे तूफानों में छोड़ ,
बस इंतज़ार करते हुए उसका में किनारा देखती रही,
चाँद खुद उतर आया सीने से लगाने के लिए मुझे,
मैं पागल खड़ी टूटता सितारा देखती रही,
तिल तिल मरकर मेरी मोहब्बत को उसकी खुशियों का ताजमहल बना रहा था,
में उसके साथ खड़ी अपने प्यार का जनाजा देखती रही.
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