रहती है मेरी रूह जिसके जिस्म में,
कोई उस शख्स को बुल्के लाओ ज़रा,
बहुत roti है मेरी ख्वाशिशें,
कोई तम्मानो से अपनी इसका जी बेहलो ज़रा,
नमी भर रखी है आसमान ने मेरे दर्द की,
अरे बेजुबान होठों तुम भी मुस्कुराओ ज़रा,
वोह मन रहा है जश्न मेरी उदासी का,
उसके बिना में मर नहीं गई, ऐ सितारों उसे बताओ ज़रा,
अभी अभी सोया है मुझसे रूठ के, नींद टूटे उसकी,
हवों उसकी काबर की मिटटी को हिलाओ ज़रा,
दर्द मेरा एक अरसे से बंद पड़ा है दिल के संदूक में,
वक़्त के मसीहों किसी नए गम से मेरे ज़ख्मों को सहलाओ ज़रा,
मेरी तनहियाँ बट जायेंगी तुम्हारे साथ,
मेरे कमरे के वीरानो तुम भी आज सुर में गाओ ज़रा,
सीने से लगाकर तुम्हे चूम लू,
दीवारों आज मेरे लिए तुम भी आंसू बहाओ ज़रा.
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